अगले 14 दिनों तक लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश जारी रहेगी: ISRO प्रमुख

दिल्ली: इसरो के प्रमुख के सिवन ने चंद्रयान 2 मिशन को लेकर बड़ा बयान दिया है. इसरो प्रमुख ने कहा कि एजेंसी अगले 14 दिनों तक लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश जारी रहेगी. उन्होंने बताया कि मिशन अपनी 100% सफलता के बेहद नजदीक था. के सिवन ने कहा, ”आखिरी चरण सही तरह से नहीं हो पाया, उस फेज में हमारा लैंडर से संपर्क टूट गया और बाद संचार स्थापित नहीं हो सका. फिलहाल संचार टूट गया है. हम अगले 14 दिनों तक संपर्क साधने का प्रयास करेंगे.” बता दें कि शनिवार को तड़के चंद्रयान 2 मिशन के दौरान लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया था.

के सिवन ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा कि मिशन 95% सफल रहा. ऑर्बिटर पूरी तरह ठीक है और उसमें 7.5 साल तक काम करने की क्षमता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गगनयान सहित इसरो के सभी मिशन निर्धारित समय पर पूरे होंगे.

इसरो ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया, “विक्रम लैंडर ने अपनी 35 किलोमीटर की कक्षा से सतह से ठीक दो किलोमीटर नीचे उतरने में प्रक्षेपण का तय योजना के मुताबिक पालन किया. इस बिंदु तक उसकी सभी प्रणालियां और तंत्र ठीक काम कर रहे थे और इससे लैंडर में इस्तेमाल वेरियेबल थ्रस्ट प्रोपल्शन तकनीक समेत कई नई तकनीकें साबित हुईं.” बता दें कि लैंडर ‘विक्रम’ अगर ऐतिहासिक लैंडिंग में सफल हो जाता तो भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा चुके अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाता.

चन्द्रयान-2 मिशन सभी बाधाओं को पार करेगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि चन्द्रयान-2 मिशन जल्दी ही अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर कर लेगा. उन्होंने यह भी कहा कि मानव प्रगति को आगे बढ़ने के लिए भारत द्वारा अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में नवोन्मेष और अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर बल देना जारी रहेगा. वह चन्द्रयान-2 मिशन को लेकर दुनियाभर के नेताओं के ट्वीट का जवाब दे रहे थे. मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को ट्विटर पर जवाब दिया, ‘‘मानव प्रगति को आगे बढ़ने के लिए अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में नवोन्मेष और अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर हमारा जोर जारी रहेगा.’’

अब भी चंद्रमा का चक्कर काट रहा है ऑर्बिटर, मिलेगी महत्वपूर्ण जानकारी
चंद्रयान -2 का आर्बिटर अभी भी ऊपर चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है. आर्बिटर ISRO को वहां से विक्रम लैंडर की तस्वीरें भेज सकता है, जिससे संपर्क टूटने की गुत्थी भी सुलझ सकती है. आर्बिटर इसके अलावा कई और भी काम करेगा. आर्बिटर पर 8 पेलोड लगे हैं, पेलोड चांद का एक्सरे भेजेंगे. सूर्य के प्रकाश के आधार पर यहां मौजूद मैग्नीशियम, एल्यूमिनियम, सिलिकॉन आदि का पता लगाएंगे. चांद की सतह का 3D मैप बनाएंगे, हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरों से चांद की सतह का नक्शा तैयार करेंगे.

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